किसान कल्याण किसानों से अपील की है कि फसल कटने के बाद बचे हुए के अवशेषों (नरवाई) को खेतों में न जलायें क्योंकि-यह खेती के लिये आत्मघाती कदम है। जिससे जन-धन को नुकसान होने की संभावना बनी रहती है व मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं, नरवाई में आग लगाने से भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त होती है, भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है, सूक्ष्म जीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्णय अनुसार नरवाई जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म हो जाती है, कार्बन, नाईट्रोजन तथा फॉस्फोरस का अनुपात कम हो जाता है और केंचुए नष्ट हो जाते हैं, जिस कारण भूमि की उर्वरक क्षमता खत्म हो जाती है।