Wednesday, March 11, 2020

जीवामृत तरल जैविक खाद बनाने की विधि

एक अद्भुत तरल जैविक खाद है l जिसको काम लागत में किसान द्वारा घर पर बनाया जा सकता है l जिसकी लागत न के बराबर है, इस तरल खाद का उपयोग निरंतर समय अंतराल पर करते रहने  से भूमि की उर्वरा शक्ती बढाती है,जिससे उत्पादन बढ़ने के साथ किसान की लागत में कमी आती है, इसके उपयोग से  बिमारियों का प्रकोप भी काम होता है l


किसान भाईयो जीवामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक खाद है। जिसे गोबर के साथ पानी मे कई और पदार्थ मिलाकर तैयार किया जाता है। जो पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है। यह पौधों की विभिन्न रोगाणुओं से सुरक्षा करता है तथा पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है जिससे पौधे स्वस्थ बने रहते हैं तथा फसल से बहुत ही अच्छी पैदावार मिलती है।


सामग्री -



  • 180 ली. पानी

  • 10 किलो देशी गाय का ताजा गोबर

  • 10 लीटर देशी गाय का गौमूत्र

  • 2 किलो गुड़ अगर गुड़ न मिले तो 4 लीटर गन्ने का रस भी प्रयोग कर सकते है।

  • 2 किलो बेसन अथवा किसी भी दाल का आटा २ किलोग्राम

  • 10 लीटर कल्चर मिश्रण अथवा जीवंत मृदा १ किलोग्राम ( बरगद या पीपल  के पेड़ की छाँव की )



विधि –


 सभी सामग्री को मिलाकर 6-7 दिनों तक रखना है। ड्रम को ढक कर छांव मे रखदे। इस मिश्रण पर सीधी धूप नही पड़नी चाहिए। लकड़ी की डंडी से नियमित रूप से सुबह और शाम को मिश्रण को हिलाते रहें l 20 लीटर प्रति बीघा के मान से उपयोग करें।


उपयोग-  



  • ड्रिप में छानकर देवें।

  • सिंचाई के साथ देवें।

  • गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट में मिलाकर उपयोग करें।

  • जुताई के समय भी जीवामृत को मिट्टी पर भी छिड़का जा सकता है। जीवामृत छिडकते समय भूमि में नमी होनी चाहिए।

  • किसान भाई इस तरल जीवामृत का फसलो पर छिड़काव भी कर सकते है। फलदार पेड़ो के लिए पेड़ों दोपहर 12 बजे के समय पेड़ो की जो छाया पड़ती है उस छाया के बाहर की कक्षा के पास0-1.5 फुट पर चारों तरफ से नाली बनाकर प्रति पेड़ 2 से 5 लीटर जीवामृत महीने में दो बार पानी के साथ दीजिए। जीवामृत छिडकते समय भूमि में नमी होनी चाहिए।


फसल –


जीवामृत का प्रयोग किसान भाई गेहूँ, मक्का, बाजरा, धान, मूंग, उर्द, कपास, सरसों,मिर्च, टमाटर, बैंगन, प्याज, मूली, गाजर आदि फसलो के साथ ही अन्य सभी प्रकार के फलदार पेड़ों में कर सकते हैं। इसका कोई नुकसान नही है।


लाभ



  • भूमि की उर्वरा शक्ती को बढ़ता है l

  • भूमि को कृषि अवशेष अपघटन में सहायक है l

  • जीवामृत पौधे को अधिक ठंड और अधिक गर्मी से लड़ने की शक्ति प्रदान करता हैl

  • फसलो पर इसके प्रयोग से फूलों और फलों में वृद्धि होती है।

  • जीवामृत सभी प्रकार की फसलों के लिए लाभकरी है।

  • इसमें कोई भी नुकसान देने वाला तत्व या जीवाणु नही है।

  • जीवामृत के प्रयोग से उगे फल,सब्जी, अनाज देखने में सुंदर और खाने में अधिक स्वादिष्ट होते है।

  • पौधों में बिमारियों के प्रति लड़ने की शक्ति बढ़ाता है।

  • मिट्टी में से तत्वों को लेने और उपयोग करने की क्षमता बढ़ती है।

  • बीज की अंकुरन क्षमता में वृद्धि होती है |

  • इससे फसलों और फलों में एकसारता आती है तथा पैदावार में भी वृद्धि होती है।


भूमि पर असर-



  • किसान भाईयो जीवामृत के लगातार प्रयोग करने से भूमि में केचुआ और अन्य लाभदायक सूक्ष्म जीव जैसे- शैवाल, कवक, प्रोटोजोआ व बैक्टीरिया इत्यादि में वृद्धि होती है जो पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

  • भूमि की उर्वरा शक्ति मे वृद्धि होती है।

  • भूमि के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में भी इसके प्रयोग से सुधार होता है जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है।


नोट –200 लीटर ड्रम में से 180 लीटर उपयोग करें। बचे हुए 20 लीटर मिश्रण में पुनः सामग्री मिलाएँ। ऐसा कम से कम तीन बार अवश्य करें 15 दिनों के अंतराल पर।


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