आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति में जड़ों का प्रयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों, जैसे मस्तिष्क सम्बन्धी रोगों, मिरगी कंपन इत्यादि, आंत की गड़बड़ी तथा प्रसव आदि विभिन्न बीमारियों के उपचार में बहुतायत से उपयोग होता हैl
भूमि तथा जलवायु
इसकी खेती विभिन्न मृदा किस्मों जैसे कि बलुवर, बलुवर दोमट तथा भारी जमीनों में हो रही है। इसे बहुत हल्की बलवर जमीन जिसमें जीवांश पदार्थ की मात्रा कम हो नहीं उगाना चाहिये। यह पौधा अम्लीय तथा क्षारीय दोनों प्रकार की मिट्टियों में आसानी से उगाया जा सकता है। जिस भूमि का पी. एच. 8.5 से ज्यादा हो वह इसकी खेती के लिये उपयुक्त नहीं होती हैl
पौध तैयार करना
विभिन्न विधियों जैसे सर्पगंधा के पौध बीज, तने तथा जड़ की कटिंग व जड़ों के टूठ लगाकर तैयार किये जा सकते हैंl
बीज द्धारा
इस विधि से सामान्यतः पौधा नहीं तैयार करते हैं, क्योंकि इसके बीजों का जमाव बहुत ही कम (20 से 25 प्रतिशत) होता है। यदि बीज के द्वारा ही तैयार करना है तो बिल्कुल ताजे बीजों का प्रयोग करना चाहिए। तीन महीना के भीतर तैयार बीज का अंकुरण प्रतिशत ठीक रहता हैl
जड़ों की कलम द्वारा
ऐसे पौध की जड़े जिसमें एल्कलायड की मात्रा अधिक हो उनका चुनाव पौध लगाने के लिये करते हैं। इससे अधिक एल्कलायड देने वाले पौधे प्राप्त होंगे। पौध तैयार करने के लिए 7.5 से 10 से०मी० लम्बी जड़े काटते हैं। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जड़ों की मोटाई 12.5 मि.मी. से अधिक न हो तथा प्रत्येक टुकड़े में 2 गाँठे हों । इस प्रकार की जड़ों को करीब 5 से.मी. गहराई के नालियों में लगाकर अच्छी प्रकार से ढक देते हैं। इस विधि से फसल लगाने में करीब 100 कि.ग्रा. ताजी जड़ों के टुकड़ों की जरूरत होती है।
रोपाई
बरसात का समय इसकी रोपाई के लिये उपयुक्त होता है। रोपाई के समय पौध की ऊंचाई 7.5 से 12 से.मी. के बीच होना चाहिए। नर्सरी से पौध उखाड़ते समय इस बात का ध्यान रहे कि उसकी जड़ें टूटने न पाये । उखाड़ने के बाद पौधों को भीगे बोरे या हरी पत्तियों से ढ़ककर खेत में सीधे ले जाकर लगा देना चाहिये। लाइन से लाइन 60 से.मी. की दूरी तथा पौध से पौध की दूरी 30 से.मी. होनी चाहिये।
सिंचाई
यद्यपि सर्पगंधा असिंचित अवस्था में पैदा किया जा सकता है लेकिन पानी की कमी की वजह से पैदावार कम हो जाती है। यदि सिंचित अवस्था में इसकी खेती की जा रही है तो इसे गर्मियों के अलावा एक माह में एक बार तथा गर्मियों में माह में दो बार सिंचाई करते हैं। यदि पौध लगाने के बाद बरसात नहीं होती है तो रोजाना हल्की सिंचाई पौध अच्छी तरह लगने तक करते हैं।
खाद एवं उर्वरक
प्रति हेक्टेयर 10 टन गोबर की खाद एवं नत्रजन , फास्फोरस व पोटाश हर एक की 30 कि.ग्रा. की दर से बुवाई के पूर्व खेत में मिला देना चाहिए। इसके बाद 25 कि.ग्रा. नत्रजन दो बार पौध अच्छी तरह लगने के बाद अगस्त - सितम्बर में तथा फरवरी - मार्च में देते हैं। बाद के दूसरे तथा तीसरे वर्षों में भी उपरोक्त दिये गये उर्वरकों की मात्रा प्रयोग करते हैंl
निराई-गुड़ाई
शुरू में पौधे की वृद्धि कम होने के कारण खेत में खर-पतवार काफी मात्रा में हो जाते हैं, जिसकी वजह से पौधे की बढ़वार और भी कम हो जाती है। यदि इस अवस्था में खर-पतवार नियंत्रित नहीं किये गये तो ये सर्पगंधा के पौधे को ढक लेते हैं, जिससे पौधे मर भी जाते हैं। अतः लगाने के 15-20 दिन के बाद खुरपी से निराई कर देनी चाहिये तत्पश्चात साल में दो बार और निराई गुड़ाई करना चाहिए।
जड़ों की खुदाई, सुखाना तथा भंडारण
सिंचित अवस्था में जड़े 2 से 3 वर्ष की उम्र में खुदाई के लिये तैयार हो जाती है। इनकी खुदाई का उचित समय दिसम्बर माह है, क्योंकि इस समय पौधा सुसुप्ता अवस्था में रहता है, तथा पत्तियाँ भी कम होती है, इसकी जड़ें काफी गहराई तक जाती है, इन्हें अच्छी तरह खोदकर निकालना चाहिये। उसके बाद पानी में जड़े धोकर छाया में सुखाना चाहिये। तत्पश्चात जड़ो को जूट के बोरो में भरकर बाजार हेतु रखते हैं।
उपज
परीक्षणों से यह ज्ञात हुआ है कि यदि 60x30 से.मी. में पौधे लगाये गये हैं तो करीब 1175 कि.ग्रा. तक सूखी जड़ें प्राप्त होती है, औसतन 10 कुन्टल जड़ें प्राप्त होती है।
व्यय
1. खेती की तैयारी पर व्यय 3,000.00
2. खाद एवं कीटनाशकों पर व्यय 5,000.00
3. बीज की लागत (तीन कि.या. बीज 5000 रू.प्रति कि.या. की दर से) 15,000.00
4. नर्सरी तैयार करने की लागत 1,000.00
5. ट्रांसप्लांटिंग की लागत 2,000.00
6. खरपतवार नियंत्रण तथा निंदाई गुड़ाई की लागत 3,500.00
7. बीजों की चुनाई पर व्यय 3,000.00
8. सिंचाई पर व्यय 3,000.00
9. 3 माह तक फसल की देखभाल पर व्यय 5,000.00
10. फसल उखाड़ने तथा सुखाने आदि पर व्यय 3,000.00
11. पैकिंग तथा ट्रांसपोर्टेशन आदि पर व्यय 5,000.00
कुल योग 48,500.00
प्राप्तियां
1. सूखी जड़ों की बिक्री से प्राप्तियां (8 क्विंटल जड़े 250/- प्रति कि.या. की दर से) 2,00,000.00
2. बीजों की बिक्री से प्राप्तियां 25 कि.या. बीज, 1500 रू. प्रति कि.या. की दर से बिक्री) 37,500.00
कुल योग 2,37,500.00
Samriddhi Organic Agro Biotech 6- Sachidanand Nagar ,Annapurna Road Indore M.P.452009 Phone No. 0731-3553229, 8319628341
Nature Agrocare & Research Pvt. Ltd. Indore MP 452010 CC +91 6262-81-8080 , Mail- info@narpl.in , www.narpl.in