मृदा खाद्य श्रृंखलासूक्ष्मजीव भी कई प्रकार के होते हैं जैसे राइजोबियम, एजोटोबेक्टर, स्फूर घोलक जीवाणु, माइकोराईजा, ट्राइकोडर्मा आदि। इनमें से राइजोबियम दलहनी फसलों को नाइट्रोजन प्रदान करता है तथा गैर दलहनी फसलों में एजेटोबेक्टर नाइट्रोजन प्रदान करता है तथा माइकोराइजा जड़तंत्र को मजबूत बनाकर पोषक तत्त्वों का संचरण करता है। ट्राइकोडर्मा भूमि जनित बीमारियों से पौधों की रक्षा करता है। ठीक इसी प्रकार से भिन्नभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव फसलों की वृद्धि, प्रतिरोधक क्षमता, गुणवत्ता एवं उत्पादकता बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। हमें इन लाभदायक सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाने के लिए कोशिश करना होगी। इनके साथसाथ भूमि की प्राकृतिक जुताई करने वाले जीव केंचुए जो कि भूमि के लिए वरदान हैं, उन्हें भी संरक्षित करके कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाया जा सकता है। कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यदि यह कमजोर रही तो परोक्ष या अपरोक्ष रूप से यह सभी को प्रभावित करेगी। इसलिए कृषि को सुदृढ़ बनाने के लिए हमें जैविक आदानों का उपयोग करना पड़ेगा ताकि अच्छे उत्पादन के साथ हमें अच्छा पर्यावरण भी मिले। नहीं तो आने वाली पीढ़ियों को हम क्या देकर जाना चाहेंगे।