Wednesday, January 15, 2020

जैविक अपनाओ खेती बचाओ

Organic Farming helps to restore the soil's productivity


जैविक कृषि में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मृदा की है। यदि मृदा की गुणवत्ता अच्छी है तो पीएच मान एवं सूक्ष्मजीवों की क्रियाविधि भी सुचारु रूप से चलती रहेगी। यह सभी कारक निर्भर करते हैं कार्बनिक पदार्थों की मात्रा पर, क्योंकि कार्बनिक पदार्थों का विघटन सूक्ष्मजीव करते हैं और विघटन के पश्चात् यह खाद गुणधर्मिता को बढ़ाकर पौधों को पोषण प्रदान करता है। पीएच मान को संतुलित रखता है। यदि हम इस प्रक्रिया को पूरी तरह सुचारू रूप से चलने दें तो हमें अनावश्यक रूप से किसी भी रासायनिक आदानों का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।



 लेकिन यदि हमनें रासायनिक आदानों का उपयोग किया तो प्रकृति के द्वारा दी गई इस सुविधा का हम पूरा लाभ नहीं ले पाते हैं। आमतौर पर किसान भाइयों की यह धारणा बन चुकी है कि हम रासायनिक खादों का जितना ज्यादा उपयोग करेंगे उतना ही ज्यादा उत्पादन प्राप्त होगा लेकिन यह धारणा पूरी तरह से गलत है। मृदा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है कि आप कौनसी फसल का कितना उत्पादन लेना चाहते हैं।


सर्वप्रथम मृदापरीक्षण करना अतिआवश्यक है, जिससे हमें यह पता चल जाता है कि भूमि में ऑर्गेनिक कार्बन, पी.एच., नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश आदि निर्धारित मात्रा से कम है या ज्यादा। फिर मृदा परीक्षण के रिजल्ट पर आधारित अनुशंसाओं का पालन करें। खेतों के आसपास कोशिश करें कि सीमा पर नीम, करंज, आकड़ा, नरोड़ी, सीताफल, सूरजना आदि पेड़ों को लगाएँ। इन पेड़ों का सबसे पहला लाभ यह है कि यह पौधों की विविधताओं को बढ़ाते हैं। इसे कहा जाता है जैव विविधता।


जैविक खेती में अतिआवश्यक एवं अतिविश्वसनीय पेड पौधों में से ये भी है। आप अपने खेतों में जितने विविधताओं से भरे वृक्ष लगाएँगे खेतों को उतना ज्यादा फायदा मिलेगा। ये वृक्ष खेतों का वातावरण स्वस्थ बनाए रखने में अति उपयोगी भूमिका निभाते हैं। कई प्रकार के रोगों एवं कीटों का नियंत्रण करने में ये उपयोगी हैं। यदि आप वनस्पति कीटनाशक बनाना चाहते हैं तो उसमें भी ये सहायक हैं। हमारे देश में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं। इसमें खेती में उपयोग में लाए जाने वाले पेड़-पौधों का उपयोग सदियों से हमारे भारतवर्ष में होता आ रहा है। यह क्षेत्रवार बदलता रहा है।


भारतदेश में मूल रूप से जैविक खेती करने वाले किसान आज भी नीम, करंज, आंकड़ा, धतूरा आदि का उपयोग करते हैं और उनके क्षेत्रों में किसान अब प्रगतिशील किसानों के रूप में जाने जाते हैं।


खेती को यदि लाभ का व्यवसाय बनाना है, तो हमें जैविक कृषि को अपनाना ही पड़ेगा। यदि हमने आज जैविक खेती को नहीं अपनाया तो कुछ ही वर्षों में हमारी मदा को काफी हानि हो चुकी होगी। फिर हमें मजबूरी में जैविक खेती की ओर अग्रसर होना होगा। इससे ज्यादा बेहतर यह होगा कि हम समय रहते जैविक खेती को अपनाएँ। पौधों को पोषण तभी मिलेगा जब भूमि पोषक होगी, इसलिए भूमि की पोषकता को बनाए रखने के लिए हमें भूमि को सुरक्षित रखना पड़ेगा। पड़ेगा।


प्रकृति के एकमात्र सिद्धांत को याद रखें कि प्रकृति से जितनी मात्रा में हमने इन पोषक तत्वों को लिया है वो हमें प्रकृति को वापस देने ही पड़ेंगे। यदि हम प्रकृति से सिर्फ लेते ही चले गए तो इसके विनाशकारी परिणाम हमें भुगतना पड़ेंगे। हम अभी से इसके नकारात्मक परिणाम देख ही रहे हैं। अब ऐसी अवस्था आ चकी है कि हमें जैविक कृषि को अपनाना ही पड़ेगा।


जैविक अपनाओ खेती बचाओ 


मृदा में सूक्ष्मजीवों की क्रियाविधि को बनाये रखने के लिए समय -२ पर मृदा परीक्षण कराये , और कमी होने पर सूक्ष्मजीवों का उपयोग भी करे l  इससे मृदा स्वस्थ होने के साथ सभी पोषक तत्व पौधों को उनकी आवश्य्कता के अनुसार समय -२ पर उपलब्ध होते रहेंगे और अत्यधिक उत्पादन में किसानो को मदद  मिलेगी 



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