Thursday, November 1, 2018

फसलों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण

फसलों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण


लाभदायक फसल उत्पादन के लिए पोषक तत्वों की कमी के चिहों को पहचान कर उन्हें सही करना प्रत्येक कृषक का कर्तव्य होना चाहिये। वैज्ञानिकों द्वारा पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों को जो फसल की पत्तियों, तना एवं पुष्पण में दिखाई देते हैं, की पहचान के तरीके बताए गए हैं। उनके आधार पर फसलों को देखकर उनकी कमी के लक्षणों को देखकर जानकारी हासिल की जा सकती है। पोषक तत्वों की कमी प्राय: पौधों की पत्तियों में रंग परिवर्तन से ज्ञात होता है। आवश्यक पोषक तत्वों की की कमी के लक्षण पत्तियों पर इस प्रकार दिखाई देते हैं:


बोरान (B)- वर्धनशील भाग के पास की पत्तियों का रंग पीला हो जाता है। कलियाँ सफेद या हल्के भूरे मृत ऊतक की तरह दिखाई देती हैं।


गंधक(S)- पत्तियाँ, शिराओं सहित, गहरे हरे से पीले रंग में बदल जाती है तथा बाद में सफेद हो जाती है। सबसे पहले नई पत्तियाँ प्रभावित होती हैं।


मैगनीज(Mn)- पत्तियों का रंग पीला-धूसर या लाल धूसर हो जाता है तथा शिराएँ हरी होती हैं। पत्तियों का किनारा और शिराओं का मध्य भाग हरितिमा हीन हो जाता है। हरितिमाहीन पत्तियाँ अपने सामान्य आकार में रहती हैं।


जस्ता(Zn)- सामान्य तौर पर पत्तियों की शिराओं के मध्य हरितिमाहीन के लक्षण दिखाई देते हैं और पत्तियों का रंग कांसे की तरह हो जाता है।


मैग्नीशियम(Mg)- पत्तियों के अग्रभाग का रंग गहरा हरा __ होकर शिराओं का मध्य भाग सुनहरा पीला हो जाता है। अंत में किनारे से अंदर की ओर लाल बैंगनी रंग के धब्बे बन जाते हैं।


फास्फोरस(P)- पौधों की पत्तियाँ फास्फोरस की कमी के कारण छोटी रह जाती है तथा पौधों का रंग गुलाबी होकर गहरा हरा हो जाता है।


कैल्शियम(Ca)- प्राथमिक पत्तियाँ पहले प्रभावित होती है तथा देर से निकलती है। शीर्ष फलियाँ खराब हो जाती है। मक्के की नाले चिपक जाती हैं।


लोहा(Fe)- नई पत्तियों में तने से ऊपरी भाग पर सबसे पहले हरितिमाहीन के लक्षण दिखाई देते हैं। शिराओं को छोड़कर पत्तियों का रंग एक साथ पीला हो जाता है। उक्त कमी होने पर भूरे रंग का धब्बा या मृत ऊतक के लक्षण प्रकट होते हैं।


ताम्बा(Cu)- नई पत्तियाँ एक साथ गहरी पीले रंग की हो जाती है तथा सूखकर गिरने लगती है। खाद्यान्न वाली फसलों में गुच्छों में वृद्धि होती है तथा शीर्ष में दाने नहीं होते हैं।


मॉलिब्डेनम(Mo)- नई पत्तियाँ सूख जाती हैं, हल्के हरे रंग की हो जाती है, मध्य शिराओं को छोड़कर पूरी पत्तियों पर सूखे धब्बे दिखाई देते हैं। नाइट्रोजन के उचित ढंग से उपयोग न होने के कारण पुरानी पत्तियाँ हरितिमाहीन होने लगती हैं।


पोटेशियम(K)- पुरानी पत्तियों का रंग पीला-भूरा हो जाता है और बाहरी किनारे कटफट जाते हैं। मोटे अनाज जैसे । मक्का एवं ज्वार में ये लक्षण पत्तियों के अग्रभाग से प्रारंभ होते हैं।


नाइट्रोजन(N) पौधे हल्के हरे रंग के या हल्के पीले रंग के होकर बौने रह जाते हैं। पुरानी पत्तियाँ पहले पीली (हरितिमाहीन) हो जाती है। मोटे अनाज वाली फसलों में पत्तियों का पीलापन अग्रभाग से शुरू होकर मध्य शिराओं तक फैल जाता है।



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