जैविक खेती करने के पहले जैविक सोच अपनाएँ
पर्यावरणीय संतुलन खेती के लिए अति आवश्यक है। पिछले कुछ वर्षों से जिस तकनीक ने हमारे किसान भाई खेती कर रहे हैं वो उन्हें फायदा पहुँचाने के साथ नुकसान भी पहँचा रही है। क्योंकि लगातार रासायनिक उत्पादों का प्रयोग करने से जैव विविधता पूरी तरह से नष्ट होती जा रही है। हमने मुख्य रूप से उन लाभदायक पेड़-पौधों, सूक्ष्म जीवों, पक्षियों, अन्य प्राणियों को हमारे कृषि क्षेत्रों से बाहर कर दिया है जो कभी हमारे कृषि क्षेत्रों को अच्छी उत्पादकता के साथ सुरक्षा भी प्रदान करते थे। हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्मग्रंथों का यदि अध्ययन किया जाए तो सभी शायद इस बात को ज्यादा गहराई से समझ पाएँगे कि प्रकृति के संरक्षण को ही सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। आज हम सभी लोग धार्मिक प्रवृत्ति के तो हैं परंतु सच्चे धर्म से अज्ञान हैं। इस अज्ञानता के कारण ही हम प्रकृति का विनाश करते जा रहे हैं। भूमि पर जब फसलें ली जाती हैं तो फसलें जितनी भी प्रकार के से प्राप्त करती है, क्या हम संतुलित मात्रा में पुनः उसी भूमि में उन तत्वों को लौटाते हैं या नहीं? इसका उत्तर नहीं में ही आएगा। आज हमें सबसे पहले यह सोचना चाहिए कि हानिकारक कीटों को नियंत्रित करने के लिए हम अलग-अलग प्रकार के कीटनाशकों का उनमें से लगभग 67 कीटनाशक ऐसे हैं जिनको विदेशों में पूरी तरह से रोक लगा दी गई है लेकिन भारत में अभी भी इनका उपयोग बहुतायत से हो रहा है। तो क्या हम कभी भी ये नहीं सोच पाएँगे कि वाकई में इनके द्वारा होने वाले नुकसान के कारण ही विदेशों में इसे रोका गया है, तो हमारे देश में इस तरह के सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। नहीं तो आने वाले समय में हमें भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। हमें भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस मामले में हमें सिक्किम का अनुसरण करना चाहिये। वर्ष 2003 में सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री पवन कुमार चामलिंग ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया कि सिक्किम राज्य में अब रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों की बिक्री नहीं होगी। वर्ष 2015 का लक्ष्य बनाया गया कि राज्य को वर्ष 2015 तक शत-प्रतिशत जैविक खेती से परिपूर्ण करना है। यह लक्ष्य राज्य ने अब हासिल कर लिया है। अब आप सोचिये कि क्या हम सभी मिलकर हमारे राज्य में भी इस तरह का बदलाव नहीं ला सकते? हमारे राज्य में सरकार कभी चाहे या न चाहे, वो रासायनिक उत्पादों पर रोक लगाए या न लगाए, हमें ही निर्णय लेना होगा क्योंकि अब बहुत हो चुका। एक तरह रासायनिक उत्पादों की असीमित मूल्यवृद्धि के कारण वैसे भी हमारी फसल उत्पादन की लागत बढ़ती जा रही है। यदि हम जैविक तकनीकों का प्रयोग करें तो पहले वर्ष से ही इन सभी प्रकार के खर्चों को कम से कम 50 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। यदि लागत में हम कटौती करेंगे तो यह भी हमारा मुनाफा ही होगा। आज कई सारी कंपनियाँ जैविक खेती के आने वाले समय को देखते हुए इस क्षेत्र में आ चुकी हैं। बस अब आपको यह ध्यान रखना है कि आपके द्वारा लिया गया जैविक कीटनाशक वाकई में जैविक है या रासायनिक। क्योंकि आज हर चीज में मिलावट शुरू हो चुकी है। जैविक उत्पाद लेने के पूर्व कंपनी के बारे में पूरी जानकारी लीजिये। उनके लायसेंस की छानबीन कीजिये। यह जानना आपका हक है