जैविक उत्पादों से कीट एवं रोगों का प्रबंधन
फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले "कीट एवं सूक्ष्म जीव वास्तव में प्रकृति के द्वारा बनाई गई खाद्य श्रृंखला का ही भाग है। लेकिन ये हमारे द्वारा उगाई जाने वाली फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए इन्हें फसलों का शत्रु माना जाता है। कीट व्याधियों एवं पादप रोगों के कारक समान ही होते हैं। जैसे पौधे एवं _ भूमि में जल असंतुलित मात्रा में होना। पोषक तत्वों में असंतुलन, पौधों में कीट रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, एक ही फसल बार-बार लेना, फसल चक्रण न होना। इसके अलावा जो रासायनिक कीटनाशकों एवं रोगनाशकों का उपयोग किया जाता है उनका केवल 1 प्रतिशत ही कीट को मारने के काम आता है या रोग को नियंत्रित करने के काम आता है। बाकी बचा 99 प्रतिशत पौधों में और पर्यावरण में रह जाता है। यह रसायन हमारी खाद्य श्रृंखला में आ जाते हैं जिसके कारण हमें कई प्रकार के असाध्य रोगों का सामना करना पड़ रहा है एवं पर्यावरण भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। अतः हमें ऐसे विकल्पों पर काम करना चाहिये जिनसे हमारी फसलें भी सुरक्षित रहें और पर्यावरण भी। इसके विकल्प के रूप में हमारे सामने जैविक कीटनाशक एवं रोगनाशक उपलब्ध हैं जिनका उपयोग हम कर सकते हैं एवं इसके लिए समन्वित प्रयास एकसाथ करने चाहिये। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण जैविक कीटनाशकों एवं रोगनाशकों के बारे में जानकारी उपलब्ध है। जैविक कीटनाशक काटनाशक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं :
सूक्ष्म जीव आधारित एवं वनस्पति कीटनाशक
- बिबेरिया बासीआना : यह एक कवक (फफूंद) है। इसमें निर्मित उत्पाद पावडर एवं द्रव आधारित होते हैं। यह कवक मुख्य रूप से हेलिकोवर्क, स्पोडोण्टेरा, सफेद मक्खी , डायमंड बैक गोथ, मेरी बोस, रूट प्रब्स का सभी अवस्था में नियंत्रण करती हैयह कवक कुछ ऐसे पाचक एंजाइम्स का स्रावण करती है जिसमें कि कीट का बाहरी आवरण कमजोर हो जाता है तथा कवक का संक्रमण कीट के शरीर के अंदर तक हो जाता है एवं यह कीट के चारों ओर से जकड़ लेती है व कीट की मृत्यु हो जाती है। प्रयोग विधि : छिड़काव- 50 ग्राम पावडर या 30 मिली द्रव आधारित फार्मुलेशन 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें। मृदा उपचार : 2 किग्रा पावडर या 1 लीटर फार्मुलेशन को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर बुरकाव करें।
- मेटरीसीयम एनिसोप्ली : यह एक फफूंद है। यह भी पावडर तथा लिक्विड फार्मुलेशन में उपलब्ध है। इनका उपयोग मुख्य रूप से दीमक, व्हाइट प्रब्स, एफिड,जेसिड, फ्रूट क्लाईस का समस्त अवस्था में नियंत्रण करता है।प्रयोग विधि : छिड़काव- 50 ग्राम पावडर या 30 मिली द्रव आधारित फार्मुलेशन 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें। मृदा उपचार : 2 किग्रा पावडर या 1 लीटर फार्मुलेशन को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर बुरकाव करें।
- बर्टोसीलियम लेकानी : एवं लिक्विड फार्मुलेशन में उपलब्ध है। इनका उपयोग मुख्य रूप से मिलीबग, थ्रिप्स, व्हाइट फ्लाई, एफिड, स्केल इन्सेक्ट्स का इन्सेक्टस का समस्त अवस्था में नियंत्रण करता है। प्रयोग विधि : छिड़काव- 50 ग्राम पावडर या 30 मिली द्रव आधारित फार्मुलेशन 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें। मृदा उपचार : 2 किग्रा पावडर या 1 लीटर फार्मुलेशन को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर बुरकाव करें।
- बेसलस युरिनजिएन्सिसः यह एक जीवाणु (बैक्टीरिया) है यह भी पावडर एवं लिक्विड फार्मुलेशन में उपलब्ध है। इनका उपयोग मुख्य रूप से इल्लियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है। किया जाता है। प्रयोग विधि : छिड़काव- 50 ग्राम पावडर या 30 मिली द्रव आधारित फार्मुलेशन 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें। मृदा उपचार : 2 किग्रा पावडर या 1 लीटर फार्मुलेशन को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर बुरकाव करें।
- पेसिलोमायसीस सिलेसीनस : यह एक फफूंद है। यह पावडर फार्मुलेशन में उपलब्ध है। यह मुख्य रूप से निमेटोड्स (सूत्रकृमियों) के नियंत्रण में अति उपयोगी है। यह मेलिडोमाइनी स्पी. के निमेटोड्स को जो कि मिर्च, टमाटर, बैंगन, प्याज, भिण्डी, पपीता को नियंत्रित करता है। इसके अलावा रेनिफार्म निमेटोड (रोटीलेंकुलम स्पी.) मिर्च व पपीता, नीम्ब एवं केले में भी अति उपयोगी है। प्रयोग विधि : छिड़काव- 50 ग्राम पावडर या 30 मिली द्रव आधारित फार्मुलेशन 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें। मृदा उपचार : 2 किग्रा पावडर या 1 लीटर फार्मुलेशन को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर बुरकाव करें।
- अर्टीसीलियम क्लेमाईडोस्पोरियम : यह एक क्लेमाईडोस्पोरियम : यह एक फफूंद है। यह पावडर फार्मुलेशन में उपलब्ध है। इनका उपयोग मुख्य रूप से निमेटोड्स के अंडों को नियंत्रित करने में अति उपयोगी है। प्रयोग विधि : छिड़काव- 50 ग्राम पावडर या 30 मिली द्रव आधारित फार्मुलेशन 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें। मृदा उपचार : 2 किग्रा पावडर या 1 लीटर फार्मुलेशन को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर बुरकाव करें।
- हिरमटेला थीम्पसोनाई : यह एक फफूंद है। यह पावडर एवं लिक्विड फार्मुलेशन में उपलब्ध है। यह मुख्य रूप से समस्त प्रकार के माईट्स को नियंत्रित करने के काम आता है।प्रयोग विधि : छिड़काव- 50 ग्राम पावडर या 30 मिली द्रव आधारित फार्मुलेशन 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें। मृदा उपचार : 2 किग्रा पावडर या 1 लीटर फार्मुलेशन को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर बुरकाव करें।
सूक्ष्म जीव आधारित फफूंदनाशक एवं रोगनाशक
- ट्राईकोडर्मा विरीडी एवं ट्राइकोडर्मा हारजीएनम : यह एक मित्र फफूंद है जो कि पावडर एवं लिक्विड फार्मुलेशन में उपलब्ध है। यह मुख्य रूप से भूमि जनित फफूंद रोग जैसे जड़ गलन, डरवटा, तना गलन, झुलसा व अन्य भूमि जन्य रोगों के जैविक नियंत्रण में प्रभावीहै। कई प्रकार की हानिकारक फफूंदें जैसे फ्युजेरियम, राइजोक्टोनिया, स्कलेरोशीयम, वर्टीसीलियम, मेक्रोकोमिना, अल्टरनेरिया, हेलमिंथोस्पोरियम, पाईथियम, फाइटोकथोरा आदि को प्रभावी रूप से नियंत्रित करती है। प्रयोग विधि : बीजोपचार 10 ग्राम/किग्रा बीज या 1.0 मिली/किग्रा बीज। मृदा उपचार : 2 किग्रा/100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर प्रति एकड़ उपयोग करें।
- .स्पुडोमोनास कलोरोसिसः यह एक जीवाणु है। यह भी पावडर एवं लिक्विड फार्मुलेशन में उपलब्ध है। यह विभिन्न प्रकार की भूमि जनित रोगों एवं पर्णीय रोगों का प्रभावी रूप से नियंत्रण करता है। प्रयोग विधि : बीजोपचार: 10 ग्राम/किग्रा बीज या 1.0 मिली/किग्रा बीज। मृदा उपचार : 2 किग्रा/100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर प्रति एकड़ उपयोग करें। पर्णीय छिड़काव: 50 ग्राम/15 लीटर पानी या 25 मिली/ 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर छिड़काव करें।
- बेसिलस सबटीलिस : यह एक जीवाणु है। यह पावडर एवं लिक्विड फार्मुलेशन में उपलब्ध हैयह पावडरी मिल्ड्यु, डाऊनी मिल्ड्यु एवं स्केब को नियंत्रित करता है। प्रयोग विधि : प्रयोग विधि : बीजोपचार: 10 ग्राम/किग्रा बीज या 1.0 मिली/किग्रा बीज। मृदा उपचार : 2 किग्रा/100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर प्रति एकड़ उपयोग करें। पर्णीय छिड़काव: 50 ग्राम/15 लीटर पानी या 25 मिली/ 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर छिड़काव करें।
- एम्किलोग्रायसिस क्वीसकेलिस : यह एक फफूंद हैयह पावडर व लिक्विड फार्मुलेशन में उपलब्ध है। यह पावडरी मिल्ड्यु को नियंत्रित करता प्रयोग विधि : प्रयोग विधि : बीजोपचार: 10 ग्राम/किग्रा बीज या 1.0 मिली/किग्रा बीज। मृदा उपचार : 2 किग्रा/100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर प्रति एकड़ उपयोग करें। पर्णीय छिड़काव: 50 ग्राम/15 लीटर पानी या 25 मिली/ 15 लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर छिड़काव करें।
वानस्पतिक कीटनाशक एवं रोगनाशक
आमतौर पर हम कई प्रकार के औषधीय महत्व के पौधों का उपयोग करके कीटों एवं पादप रोगों का नियंत्रण कर सकते हैं। इसमें प्रमुख रूप से नीम, करंज, आकड़ा, नरोड़ी या बेशरम, लहसुन, मिर्च का उपयोग कर सकते हैं। इन सभी की 5 किलो की मात्रा लेकर 25 लीटर गौमत्र एवं 25 लीटर पानी उबालें। जब इसकी मात्रा आधी रह जाए तब इसे ठंडा करके इसके मिश्रश्रण को 250 मिली/15 लीटर पानी में मिलाकर पीय छिड़काव करें। यह समस्त प्रकार के कीटों एवं रोगों का नियंत्रण करता है।